Film Review: Film “Love in College”
Producer Vinod Kumar
Director: Vishan Yadav
Artists: Sapan Krishna, Priya Gupta, Kiran Kumar, Mushtaq Khan, Ahsaan Qureshi, Anil Yadav, Danish Rana, Mitali Shah, Ankit Raghav, Abhishek Dixit, Kajal Tiwari, Arpeeta Thakur, Ramesh Goyal
Rating: 4 stars
This week’s release, producer Vinod Kumar and director Vishan Yadav’s film “Love in College” is an eye-opening film for youth, especially college going boys and girls as well as their parents. The film made under the banner of RV Series Motion Pictures, shows the growing trend of drugs in college and its bad effects on youth. Dialogues from the film “Love in College” is the essence of its story. One of the dialogues says “We give the status of the temple to the school college, but some people have made it a den of drugs.” This is a bitter truth of today’s society, which is effectively introduced in the film.
Performance and chemistry of lead pair Sapan Krishna and Priya Gupta is another highlight of the film. Actors like Ahsaan Qureshi, Kiran Kumar and Mushtaq Khan have delivered impactful performances.
Songs of the film have also become very popular. Singers like Shaan, Sushmita Yadav and Sparsh Rathore have lent their voice to the soulful tracks in the film, which has been released by Zee Music Company. The film is released by distributor Shamshad Pathan under his banner SK Enterprises.
The writer of this film is Ahmadhasan Siddiqui and Music is composed by Vinod Kumar, Rajesh Ghayal and Shyam Soni and arranged by Arabinda Neog. Songs are choreographed by Narendra Chauhan and Sarfaraz Khan.
In the film’s nail biting climax, Kiran Kumar has an inspiring dialogue “The way parents leave their children in school, parents should also go visit colleges to see in which environment their children are studying.”
Its a must watch for today’s youth as well as the older generation.
Rating: 4 stars
ड्रग्स के विरुद्ध एक बेहतरीन सन्देश देती है विनोद कुमार की फिल्म “लव इन कॉलेज”
फिल्म समीक्षा: फिल्म “लव इन कॉलेज”
निर्माता विनोद कुमार
निर्देशक: विशन यादव
कलाकार: सपन कृष्णा, प्रिया, किरण कुमार, मुश्ताक खान, एहसान कुरैशी, अनिल यादव, दानिश राणा, रमेश गोयल
रेटिंग: 4 स्टार्स
इस सप्ताह रिलीज़ हुई निर्माता विनोद कुमार और डायरेक्टर विशन यादव की फिल्म “लव इन कॉलेज” यूथ खास कर कालेज ब्वायज और गर्ल्स के साथ साथ उनके पैरेंट्स के लिए आंख खोलने वाली एक फिल्म है। आर वी सीरीज मोशन पिक्चर्स के बैनर तले बनी यह फिल्म कॉलेज में ड्रग्स के बढ़ते चलन और नवजवानों पर पड़ रहे इसके बुरे प्रभाव को बखूबी दिखाती है। फिल्म “लव इन कॉलेज” का एक डायलॉग इसकी कहानी का सार है। “हम स्कूल कालेज को मंदिर का दर्जा देते हैं लेकिन कुछ लोगों ने उसे ड्रग्स का अड्डा बना कर रख दिया है.” यह आज के समाज का एक कड़वा सच है, जिसे फिल्म में प्रभावी रूप से पेश किया गया है। ड्रग्स के इस रैकेट में और कितने लोग शामिल होते हैं उनका भी पर्दा फाश किया गया है।
लव इन कॉलेज में एहसान कुरैशी, किरण कुमार और मुश्ताक खान जैसे एक्टर्स ने अपने काम से दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया है।
फिल्म के गाने भी दर्शक बहुत पसंद कर रहे हैं। इस फिल्म में शान जैसे सिंगर्स ने अपनी आवाज़ दी है इसका म्यूज़िक ज़ी म्यूज़िक कंपनी ने रिलीज़ किया है।फिल्म को डिस्ट्रीब्यूटर शमशाद पठान ने अपने बैनर एस के इंटरप्राइजेज द्वारा रिलीज़ किया है।
इस फिल्म के लेखक अहमद सिद्दीकी, संगीतकार राजेश घायल, मिताली शाह, मलिका सिंह, दानिश राणा, सिंगर शान, सुष्मिता यादव, कोरियोग्राफर नरेंद्र चौहान, सरफराज खान हैं।
फिल्म के क्लाइमेक्स में किरण कुमार का एक इंस्पायरिंग संवाद है “जिस तरह स्कूल में बच्चो को छोड़ने उनके मां बाप जाते है उसी तरह पैरेंट्स को कॉलेज में भी जाकर देखना चाहिए कि उनके बच्चे किस वातावरण में पढ़ाई कर रहे हैं।”
दर्शकों को यह फिल्म एक बार अवश्य देखनी चाहिए।
रेटिंग : 4 स्टार्स
ड्रग्स के विरुद्ध एक बेहतरीन सन्देश देती है विनोद कुमार की फिल्म “लव इन कॉलेज”
फिल्म समीक्षा: फिल्म “लव इन कॉलेज”
निर्माता विनोद कुमार
निर्देशक: विशन यादव
कलाकार: सपन कृष्णा, प्रिया, किरण कुमार, मुश्ताक खान, एहसान कुरैशी, अनिल यादव, दानिश राणा, रमेश गोयल
रेटिंग: 4 स्टार्स
इस सप्ताह रिलीज़ हुई निर्माता विनोद कुमार और डायरेक्टर विशन यादव की फिल्म “लव इन कॉलेज” यूथ खास कर कालेज ब्वायज और गर्ल्स के साथ साथ उनके पैरेंट्स के लिए आंख खोलने वाली एक फिल्म है। आर वी सीरीज मोशन पिक्चर्स के बैनर तले बनी यह फिल्म कॉलेज में ड्रग्स के बढ़ते चलन और नवजवानों पर पड़ रहे इसके बुरे प्रभाव को बखूबी दिखाती है। फिल्म “लव इन कॉलेज” का एक डायलॉग इसकी कहानी का सार है। “हम स्कूल कालेज को मंदिर का दर्जा देते हैं लेकिन कुछ लोगों ने उसे ड्रग्स का अड्डा बना कर रख दिया है.” यह आज के समाज का एक कड़वा सच है, जिसे फिल्म में प्रभावी रूप से पेश किया गया है। ड्रग्स के इस रैकेट में और कितने लोग शामिल होते हैं उनका भी पर्दा फाश किया गया है।
लव इन कॉलेज में एहसान कुरैशी, किरण कुमार और मुश्ताक खान जैसे एक्टर्स ने अपने काम से दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया है।
फिल्म के गाने भी दर्शक बहुत पसंद कर रहे हैं। इस फिल्म में शान जैसे सिंगर्स ने अपनी आवाज़ दी है इसका म्यूज़िक ज़ी म्यूज़िक कंपनी ने रिलीज़ किया है।फिल्म को डिस्ट्रीब्यूटर शमशाद पठान ने अपने बैनर एस के इंटरप्राइजेज द्वारा रिलीज़ किया है।
इस फिल्म के लेखक अहमद सिद्दीकी, संगीतकार राजेश घायल, मिताली शाह, मलिका सिंह, दानिश राणा, सिंगर शान, सुष्मिता यादव, कोरियोग्राफर नरेंद्र चौहान, सरफराज खान हैं।
फिल्म के क्लाइमेक्स में किरण कुमार का एक इंस्पायरिंग संवाद है “जिस तरह स्कूल में बच्चो को छोड़ने उनके मां बाप जाते है उसी तरह पैरेंट्स को कॉलेज में भी जाकर देखना चाहिए कि उनके बच्चे किस वातावरण में पढ़ाई कर रहे हैं।”
दर्शकों को यह फिल्म एक बार अवश्य देखनी चाहिए।
रेटिंग : 4 स्टार्स
Rating: 4 Stars
Movie review: Bhajan Supari
Release date: 28th June
Banner: Aaryavarth Media Creations timing: 2h11Minute Language Hindi
Producer: Ila Pandey
Director/ story writer: Sujeet Goswami
Co Producer: DigVijay Singh
From Bhajan Singer to Bhajan Supari; an entertaining journey of’Bhajan Supari’
No film is big or small, the subject of the movie is big or small. The subject of director Sujit Goswami’s film ‘Bhajan Supari’ is very unique. The hero of this movie is the story of the movie. Theater, film and TV actors have worked in Producer Ila Pandey’s film. There is no big face in her film, but the subject and concept of the movie is very big and different.
The story of this film is very intresting. Some funny and wonderful events occur in the house of the heroine with the hero of the movie. Due to these incidents, his life has changed. Dagadu bhai (boss), the villain of this movie, wants to take the wrong advantage of Bhajan Kumar alias Paras.
From Bhajan Singer to Bhajan Supari this is an entertaining journey, which sparks the magic of romance between comedy, Suspence and Horror.
The movie is an entertaining film. This is an experimental cinema, that creates an unique atmosphere. Writers bring in appealing humour. “Bhajan Supari” is a such piece of work that recognises the durability of meaningful cinema. This is a must watch film in today’s time. A brave story which will compel you to reflect on oneself. Brilliant performance by Sujit Goswami.
A Presentation of Aryavarta Media Creations “Bhajan Supari” Director Sujit Goswami, Producer Ila Pandey, Executive Producer Digvijay Singh, Camera Man Manish Patel, Screenplay Writer Prof. Nandlal Singh, co-authored by Uma Shankar Shrivastav, Vikram Singh, story writer Sujeet Goswami and artists are Sujit Goswami, Ila Pandey, Narendra Acharya, Umesh Bhatia, Sunil Jha, Nancy Seth, Aparna Pathak, Ashtabhuja Mishra, Vinay Sahai. The singers in the film are Udit Narayan Jha, Divya Kumar, Rekha Rao, Pamela Jain, Raja Hassan, Deepak Giria and Rahul. Lyrics writers are Dr. Brajendra Tripathi, Arya Priya, Sujit Goswami, musician Narendra Nirmal, dance director Kirti Kumar, Anuj Maurya and editor is Ajay Gupta. The movie ‘Bhajan Supari’ released in on June 28th.
Rating: 4 Stars
रिज़वान अदातिया की इन्स्पायेरिंग बायोपिक है ‘रिजवान’
बहुत से लोगों की जिंदगी की कहानी इतनी इन्स्पायेरिंग होती है कि उनपर बायोपिक फिल्मे बनती हैं. रिज़वान अदातिया की कहानी भी बड़ी प्रेरणादायक है उनकी इसी इमोशनल और सक्सेस स्टोरी को अब एक फीचर फिल्म का रूप दे दिया गया है जिसका नाम है ‘रिजवान’. पिछले दिनों मुंबई के सन्नी सुपर साउंड में इस फिल्म की एक स्पेशल स्क्रीनिंग का आयोजन किया गया जहाँ खुद रिज़वान अदातिया को बधाई देने के लिए कई हस्तियाँ आई.
एक आम आदमी कैसे दुनिया में बदलाव ला सकता है, इसी कहानी को पेश किया गया है फिल्म ‘रिजवान’ में. फिल्म देखते समय एहसास हुआ कि मानव सेवा के लिए जो काम रिज़वान अदातिया ने किया है वह बहुत सारे लोगों के लिए इन्स्पायेरिंग है.
रिज़वान अदातिया एक ऐसी हस्ती का नाम है जो अपनी बहुत सारी दौलत दूसरों के कल्याण और परोपकार के लिए दे देते हैं। पोरबंदर में जन्मे और अब मोजांबिक अफ्रीका में बस चुके रिज़वान केन्या, तंजानिया, यूगांडा, जाम्बिया, रवांडा, कांगो, मेगागास्कर आदि सहित 10 अफ्रीकी देशों में सफल कंपनी चला रहे हैं। रिज़वान अदातिया फाउंडेशन अफ्रीका और भारत में विकास के कई प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है और मानव सेवा में लगा हुआ है।
रिज़वान अदातिया से बातचीत करके अंदाजा हुआ कि उन्होंने कितने संघर्ष से यह मुकाम हासिल किया है और किस तरह उनके मन में गरीब और जरुरतमंद लोगों की मदद का जज्बा जागा. जो आदमी 10वीं क्लास फेल हो हो, जो 17 साल की उम्र में 175 रुपए महीने पर काम करता हो और जेब में सिर्फ 200 रुपए लेकर कांगो के सफर पर निकला हो, उसके लिए जीवन का सफ़र आसान नहीं रहा होगा मगर रिजवान ने बड़ी हिम्मत से काम किया और आज वह दूसरों के लिए एक प्रेरणा बने हुए हैं. चूंकि वह अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए, इसलिए रिजवान शिक्षा का खर्च नहीं उठा पाने वाले लोगों के लिए मसीहा बनके सामने आते हैं और लोगों की मदद करते हैं. शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में लोगों की मदद करना आज उनका एक मिशन बन चुका है।
रिज़वान अदातिया फाउंडेशन की स्थापना करने वाले रिज़वान अदातिया अपने स्रोतों, अनुभवों एवं ज्ञान को जरूरतमंदों के बीच वर्षों से लगातार बांट रहे हैं।
रिज़वान चाहते हैं कि देश से गरीबी, कुपोषण, बीमारियों का खात्मा हो तथा शिक्षा व रोजगार के अवसर सबको मिलें.
रिज़वान अपनी कामयाबी का क्रेडिट, बांटने की सोच, ध्यान की शक्ति एवं योग से प्राप्त लाभ को देते हैं। वह जब १९८६ में भारत में प्रति माह मात्र १७५ रु. कमाते थे, तभी से उन्होंने दान देने में दिलचस्पी दिखाई थी. उन्होंने अपनी पहली कमाई उस गरीब व्यक्ति को दे दी थी जो दवाएं खरीदने की क्षमता नहीं रखता था। उन्हें लगता है कि वह उनके जीवन का सब से खुशी का दिन था। इस तरह का कार्य उन्होंने अपने जीवन में जारी ही रखा है. इस फिल्म में भी बड़े इमोशनल ढंग से यह सीन फिल्माया गया है जब वह एक बूढ़े व्यक्ति को अपनी कमाई की रकम देते हैं.
रिज़वान का कहना है कि, ‘जिनके पास कुछ भी नहीं है हम उनमें उम्मीद, हिम्मत और चेतना की किरण जगाते हैं और जिनके पास काफी धन हैं उन्हें हम दान की प्रेरणा देते हैं।’
रिज़वान अदातिया फाउंडेशन लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा एवं रोजगार के अवसर उपलब्ध कराकर उनके जीवन के अँधेरे को दूर कर उन्हें सबकी तरह जिंदगी गुज़ारने का मौका प्रदान करने के लिए काम करता है।
जरूरतमंदों को चिकित्सा सुविधाएं देने, लाखों लोगों को आत्मनिर्भर बनाने, शिक्षा के स्तर में सुधार लाने, युवकों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने का काम रिजवान और उनकी टीम करने में जुटी हुई है।
रिजवान रोज़ सुबह ३ बजे उठते हैं और इंसानियत की भलाई के लिए दुआएं करते हैं, खुद से बातें करते हैं, आगे की सोचते हैं. जरुरतमन्दो, गरीब और लाचार लोगों की मदद से उन्हें जो सुकून मिलता है, उसका कोई जवाब नहीं है इसलिए वह मानव सेवा में ही खुद को समर्पित कर देना चाहते है.
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टाइमपास मनोरंजक फ़िल्म है ‘ नॉटी गैंग ‘ ( 2.5 स्टार )
पंकज कुमार विराट निर्देशित फिल्म ‘नॉटी गैंग’ में नए युवा कलाकारों ने बड़े ही सहज अंदाज़ में कॉमेडी करने की कोशिश की है। यह फ़िल्म खासकर युवा दर्शकों को ध्यान में रखकर बनायी गयी है।
फ़िल्म की कहानी में एक गांव के तीन लड़के बल्लू, राजा और हैरी की शरारत से सभी परेशान रहते हैं। यहां तक कि बल्लू अपने माता पिता को भी नहीं छोड़ता। तीनों की दोस्त विद्या उन्हें सही रास्ते पर चलने के लिए हमेशा समझाती रहती है मगर वे शरारत करने से बाज नहीं आते।
विद्या और बल्लू बचपन से ही एक दूसरे को चाहने लगते हैं। बड़ा होकर तीनों लड़के ठगी और हेरा फेरी करके पैसे कमाना चाहते हैं। फिर वह तीनों गांव छोड़कर शहर की ओर बढ़ते हैं और अपने काम को अंजाम देते हुए पुलिस की नज़र में आ जाते हैं। पुलिस से बचते बचते तीनों एक नैचुरल हेल्थ थेरेपी सेंटर पहुंच जाते हैं। वहां पर खूबसूरत लड़कियों द्वारा हीलिंग कराया जाता है। सेंटर की संचालिका लीला खुद को मृतक साबित कर भूतनी का रूप धारण कर ग्राहकों को भगाती रहती है और सबका माल हड़प लेती है। इस काम में दूसरी लड़कियां भी उससे मिली होती हैं। जिनमें माया की शक्ल हूबहू विद्या से मिलती है।
तीनों लड़के को लीला का राज़ पता चल जाता है और वे उसे ब्लैकमेल करते हुए सेंटर में मुफ्त की रोटी तोड़ने लग जाते हैं। वहां विद्या को देखकर तीनों दोस्त आश्चर्यचकित हो जाते हैं। इधर तीनों लड़कों से परेशान लीला अपने आशिक रोमियो डॉन को मदद के लिए मनाती है। दरअसल डॉन रोमियो अपनी दरियादिली की चक्कर में सब कुछ गंवा बैठा है। उसे लूटने में लीला का भी हाथ होता है जिसके पैसे से वह हेल्थ सेंटर चला रही है।
अंत में क्या विद्या अपने प्रेमी के साथ उसके दोस्तों को सही रास्ते पर ला सकती है ? क्या लीला और डॉन रोमियो तीनों लड़के से अपना बचाव कर पाते हैं ? यह सब देखना बड़ा दिलचस्प होगा।
पंच परमेष्ठी प्रोडक्शन प्राइवेट लिमिटेड और त्रयम्बकं प्रोडक्शन द्वारा निर्मित इस फ़िल्म में निर्देशक पंकज कुमार विराट ने फ़िल्म में मनोरंजन दिखाने के लिए कुछ नए सीन डाले हैं। पहली बार उन्होंने निर्देशन में हाथ आजमाया है और काफी हद तक सफल हुए हैं। कलाकारों के एक्सप्रेशन पर थोड़ा ध्यान दिया जा सकता था। फ़िल्म की सिनेमैटोग्राफी बेहतरीन है। लोकेशन भी देखने लायक है।
गाने सुनने योग्य हैं।
कुल मिलाकर यह फ़िल्म टाइमपास के लिए देखी जा सकती है।
ऑन द रैंप नेवर एंडिंग शो ‘ में है फैशन का जलवा और फैशन डिजाइनर का संघर्ष
हर किसी के भीतर एक अद्भुत कला छिपी होती है जिसे तराशने पर उसकी कीर्ति चारों तरफ फैलती है। देखा जाए तो जीवन में हर इंसान को संघर्ष के दौर से गुजरना पड़ता है, जो विकट परिस्थितियों का सामना करते हैं वही सफलता के नए आयाम स्थापित करते हैं।
ऐसा ही कुछ फ़िल्म ‘ ऑन द रैंप नेवर एंडिंग शो ‘ में देखने को मिलता है। फ़िल्म देखने के बाद यह भी समझने को मिलता है कि कभी किसी पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं करना चाहिये।
फ़िल्म की कहानी में नायक साकेत शर्मा ( रणवीर शौरी ) इंटरनेशनल फैशन डिजाइनर है। उसकी विदेशी पार्टनर एंजेलिना ( सैदह जूल्स ) उसे पसंद करती है लेकिन उसपर अपना अधिकार रखना चाहती है। साकेत अपनी पहचान बनाना चाहता है और अपने देश भारत की पारंपरिक परिधान को विश्व स्तर तक ले जाने के लिये अलग राह चुनता है। उसकी गर्लफ्रैंड नहीं चाहती कि वह उससे जुदा होकर नाम कमाए और वह उसकी कमाई का हिस्सा भी छीन लेती है। साकेत दिल्ली आता है जहां उसे कृति ( उर्वशी शर्मा ) मिलती है। कृति भी फैशन डिजाइनर बनना चाहती है इसलिए वह साकेत की सहायक बन जाती है। दिल्ली में दोनों मिलकर छह महत्वकांक्षी लड़कियों को मॉडलिंग के लिये तैयार कर लेते है मगर पैसे के अभाव में मंज़िल तक पहुंच पाना असंभव नज़र आता है।
कहते हैं जब इंसान पर संकट के घनघोर बादल मंडराते हैं तब ईश्वर कोई न कोई फरिश्ता मदद के लिए भेज ही देता है। आगे चलकर साकेत फैशन की दुनिया में विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाता है।
गैबरियल मोशन पिक्चर्स की प्रस्तुति इस फ़िल्म के प्रस्तुतकर्ता मनोज शर्मा, निर्माता राजीव भाटिया और नितिन अरोरा हैं तथा रिलीज की जिम्मेदारी ए जे डिजिटल इंटरटेनमेंट ने उठायी है।
फ़िल्म के निर्देशक इमरान खालिद ने इस फ़िल्म के जरिये फैशन जगत के साथ साथ एक इंसान के संघर्ष का बढ़िया प्रदर्शन किया है। नीलाभ कौल की सिनेमेटोग्राफी बेहतरीन है।
कलाकारों ने अपने किरदार को बखूबी अंजाम दिया है।
Rating : ***1/2
शादी में जल्दबाजी से “सुहागरात इंपॉसिबल”
फिल्म समीक्षा
फिल्म: यह सुहागरात इम्पॉसिबल
निर्देशक : अभिनव ठाकुर
निर्माता : जयेश पटेल और नरेन्द्र पटेल
कलाकार: प्रताप सौरभ सिंह, प्रितिका चौहान, प्रदीप शर्मा और आलोकनाथ पाठक
रेटिंग्स: 3 स्टार्स
निर्देशक अभिनव ठाकुर की हिंदी फिल्म ‘यह सुहागरात इम्पॉसिबल’ इसी सप्ताह 8 मार्च को रिलीज कर दी गई है। फिल्म में प्रताप सौरभ सिंह, प्रितिका चौहान की जोड़ी नजर आ रही है। यह एक कॉमेडी फिल्म है जैसा कि इन दिनों बॉलीवुड में नए सब्जेक्ट की फिल्मो का बड़ा स्वागत हो रहा है. इसलिए यह भी एक अनोखी फिल्म है।
पीस्विंग प्रोडक्शन प्राइवेट लिमिटेड के बैनर तले बनी इस फिल्म के निर्माता हैं जयेश पटेल और नरेन्द्र पटेल, जबकि इसके निर्देशक अभिनव ठाकुर हैं. निर्देशक अभिनव ठाकुर अपने काम में माहिर लगते हैं उन्होंने जिस तरह एक कॉमेडी फिल्म को हैंडल किया है वो देखने से सम्बन्ध रखता है। उन्होंने नए कलाकारों से एक्टिंग भी अच्छी करवा ली है।
प्रताप सौरभ सिंह, प्रितिका चौहान के मुख्य अभिनय से सजी इस फिल्म की कहानी इस बात के इर्द गिर्द घुमती है कि जो सुहागरात होने वाली थी, वो अचानक असम्भव कैसे हो गई। उस रात ऐसा क्या हुआ कि सुहागरात मनाना मुमकिन नहीं रहा. इसलिए फिल्म का नाम‘यह सुहागरात इम्पॉसिबल’रखा गया है.
फिल्म ‘यह सुहागरात इम्पोसिबल’ में प्रताप सौरभ सिंह, प्रितिका चौहान, प्रदीप शर्मा और आलोकनाथ पाठक की अहम भूमिकाएं है। प्रताप सौरभ सिंह इस मूवी में सत्यप्रकाश का रोल कर रहे हैं जबकि देविका का कैरेक्टर प्रितिका चौहान प्ले कर रही हैं. फिल्म में यह दोनों सुहागरात मनाने के लिए तैयार होते हैं तभी कहानी में आता है एक बड़ा ट्विस्ट. और फिर फिल्म कॉमेडी ट्रैक पर चली जाती है. देखा जाए तो यह फिल्म शादीशुदा और शादी करने के इच्छुक युवाओं दोनों को एक खास मैसेज देती है।
पिछले वर्ष में आई फिल्मो और उसके नतीजों ने साबित कर दिया है कि अब नयापन ही दर्शकों को पसंद आ रह है. इस फिल्म की कहानी में भी फ्रेशनेस है जो दर्शकों को जरूर पसंद आएगी।सुहागरात का मतलब ये नहीं है कि फिल्म का कंटेन्ट बोल्ड है बल्कि यह एक कॉमेडी ड्रामा है, जिसे लोग परिवार के साथ भी देख सकते हैं. यह फिल्म विशेष रूप से उन लड़के-लड़कियों को जरुर देखनी चाहिये, जो बिना कुछ सोचे-समझे जल्दबाज़ी में शादी का फैसला कर लेते हैं। यह फिल्म यही संदेश देती है कि शादी जिंदगी भर का रिश्ता होता है, कोई गुड्डे-गुड़ियों का खेल नहीं, इसलिए इसमें जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।
रेटिंग ३स्टार्स
Director: Jonathan Augustin
Cast: Moin Khan, Nyla Masood, Saagar Kale, Neha Bam, and others
Ratings: 4 stars
They say dreams keep everyone alive and to have one gives a reason to live even more beautifully. Writer-director Jonathan Augustin bring an emotional tale of unusual relationships with The Lift Boy, which has a big share of sweet moments, even though it could have been about five minutes shorter in the first half, which is working under the radar to establish the emotional tapestry of behaviour and relationships
Raju Tawade (debutant Moin Khan), a lower-middle-class, English-speaking Maharashtrian boy, lives with parents Krishna Tawade (Saagar Kale) and Lakshmi (Neha Bam). Aspires to become a writer, but is forced to become an engineer to fulfil his parents’ wish. His life suddenly turns upside down when he has to serve in his father’s job as a lift boy in a posh building after his Baba suffers a heart attack.
There, he meets Maureen D’souza (Nyla Masood)a rich widow who owns the posh building and stays alone in a sprawling apartment after her husband Colin’s death. Gradually, Raju befriends her along with other residents. To his surprise, Maureen promises him to teach engineering drawing, which has been the one single subject he has repeatedly failed to clear. As he works hard for the first time to study under her guidance, Fate, through a friend tempt him with other options. What happens next forms the resolution that the first half had been scripting the setup for.
The Lift Boy is loosely based on a real story set in Mumbai. Director Jonathan Augustin delivers an engaging tale that elevates your emotions and mood, and also leaves you teary-eyed the process. In the end, the slightly slowish set up of the first half is forgotten, and the comes out as a sure shot winner.
Jonathan has pleasingly weaved a heart warming story alongside the primary plot. It has been shot aesthetically — especially the skyline of Mumbai and the sunsets.
Debutant Moin Khan is very good for a first-time performance. The one who steals the show is surely Nyla Masood. She is raw, real and extremely cinvincing. You will definitely take her character Maureen D’souza back home. Rest of the entire secondary star cast does justice in their respective roles, particularly Raju’s father,played by Saagar Kale.
The Lift Boy is a slice of a life film which is a perfect watch over the weekend. As Augusti ln told me before the film, “It is never about a destination, it is always about a journey.” The Lift Boy is a beautiful, engaging, entertaining journey indeed. Don’t miss it.
आंख खोलने वाला कड़वा सच दिखाती है फिल्म ‘द डार्क साइड ऑफ लाइफः मुंबई सिटी’
-अनिल बेदाग-
बॉलीवुड में आजकल प्रयोगात्मक फिल्में बन रही हैं जिनमें झूठ का आवरण नहीं है बल्कि सच्चाई को पेश किया जा रहा है ताकि दर्शकों से फिल्म से सीधा जुड़ाव हो सके। डायरेक्टर तारिक खान की इसी सप्ताह रिलीज हुई फिल्म ‘द डार्क साइड ऑफ लाइफः मुंबई सिटी’ एक ऐसी ही कहानी है जो मुंबई जैसे बड़े शहरों में हो रही आत्महत्या की बढती घटनाओं पर आधारित है। फिल्म की खासियत यह है कि इसमें कई कहानियों और किरदारों को बहुत करीने से पिरोया गया है और इस खूबसूरती से पेश किया गया है कि दर्शक इस फिल्म से खुद को जुड़ा हुआ महसूस करें।
फिल्म में अंत तक सस्पेंस और थ्रिल भी कायम रहता है लेकिन विडंबना यही है कि छोटा बैनर होने की वजह से ऐसी फिल्में दर्शकों की बड़ी संख्या तक नहीं पहुंच पातीं और निर्देशक का सार्थक प्रयास भी व्यर्थ हो जाता है। फिल्म की यूएसपी निर्देशक महेश भट्ट का अहम रोल है जिनके दमदार अभिनय ने यकीनन दर्शकों को चौंकाया है। इस फिल्म के बाद हो सकता है महेश भट्ट अभिनय को भी अपने कॅरियर का हिस्सा बना लें। फिल्म में केके मेनन ने भी प्रभावी अभिनय किया है।
लक्ष्य प्रोडक्शन की यह फिल्म मुंबई महानगर और खास कर फिल्मी दुनिया में होने वाली आत्महत्या की घटनाओं पर आधारित एक सिनेमा है। मुम्बईकरों के लिए इसमें आंख खोलने वाला कड़वा सच दिखाया गया है जो बड़े शहरों के जीवन में होने वाले तनाव को दर्शाती है। मुंबई जैसे बड़े शहर में लोग इतनी भाग दौड़ भरी जिंदगी गुजार रहे हैं। हर आदमी तनाव और किसी न किसी परेशानी में का शिकार है और यही संघर्ष और मायूसी कभी कभी लोगों को आत्महत्या करने पर मजबूर कर देती है। इस फिल्म में इसी सच को बड़े प्रभावी ढंग से दिखाया गया है।
Film : 22 Days
Banner: QatreBornes Film
Production, D S Film Entertainment
Producer: Adhir S. Gunness
Director: Shiivam Tiwari
Music: Parivesh Singh
The Story
Mauritian tycoon Vishal Shivratan (Shiivam Tiwari) is aiming for the top slot and joins hands with Omitino Zaprio (Rahul Dev). Vishal’s wife aditi (Kritika Mishra) is a doting wife. Aditi’s best friend Jenny (Sophia Singh) seduces Vishal. Vishal’s business thrives and he finally replaces Omtino as the top gun. But Vishal faces bankruptcy after being cheated. By now, Aditi has filed for a divorce. Vishal’s loyal secretary Sonal (Kriti Chaudhary) finally saves him.
CRITICAL & TRADE ANALYSIS
The film has been tailor made to showcase the talent out of Shivam Tiwari, both as an actor and also as director. Performancewise, Shivam Tiwari takes the cake. Next best is Rahul Dev. Kritika Mishra and Sophia Singh add the glamour appeal and are also good in their respective roles. Rajkumar Kanojia and Hemant Pandey are good. The rest are adequate. The film’s music is the biggest pluspoint. All songs have been tuned very well and also picturised with painstaking effort. The three best songs are ‘Elahi’, rendered by Palak Mucchal, filmed on Vishal and Aditi, second best being ‘Black Magic’, filmed on Aditya Narayan who also has taken part on the song, third being ‘Mehfooz’, rendered by Ankit Tiwari. The other two songs ‘Khaali Sa Hoon’ and ‘Madhoshiyaan’, are also very enjoyable. The director explores the natural beauty of Mauritius. Camerawork (Kamal Chaurasia, Arvind Singh) is outstanding. Editing (Nagendra Yadav) is crisp. Production and technical values are of high standard. The publicity was very good with aggressive marketing and promotion.